पश्चिमी सभ्यता हमें लील जायेगी
दिख रहा है गजब का खुमार
युवाओं पर चढ़ा प्यार का बुखार
मातृ-पितृ दिवस को कौन पूछता है
वेलेंटाइन डे के आगे सब फीका है ।
प्रपोज, रोज, टैडी और किस डे
युवा मना रहें हग और चौकलेट डे
इतना उत्साह से कहाँ मनता फादर्स डे
बे रौनक ही रहता है मदर्स डे ।
पश्चिमी सभ्यता की अंधी दौड़
युवा छलांग लगा रहे चारो ओर
माँ-पिता का तो टूट रहा अरमान
सुबह पुत्र भी कहाँ करता उन्हें प्रणाम ।
वो दिन और थे, वो दौर और थे
साँझ-सवेरे पुत्र करता था प्रणाम
माँ-पिता को देता था सम्मान
हालात ऐसी देख आज, अचरज में भगवान ।
माँ-पिता के चरण में तो जन्नत है बसती
आशीर्वाद से लोग बनते हैं नामचीन हस्ती
हावी हो रही इस धरा पर पश्चिमी संस्कृति
कौन करता है अब माँ-पिता की स्तुति ।
युवाओं के चेहरे पर बढ़ी है चमक
विदेशी धुन पर, पाँव रहा है थिरक
ये पश्चिमी सभ्यता हमें लील जाएगी
देखिएगा
लोगों के चेहरे पर एक दिन आँसू लाएगी ।।