कविता

बसंत ऋतु आई है  

( घनाक्षरी छंद )

गायें कोयलिया तोता मैना बतकही करें ,
कोपलें लजाईं, कली कली शरमा रही |
झूमें नव पल्लव, चहक रहे खग  वृन्द ,
आम्र बृक्ष बौर आये,  ऋतु हरषा रही|
नव कलियों पै हैं, भ्रमर दल गूँज रहे,
घूंघट उघार कलियाँ भी मुस्कुरा रहीं |
झांकें अवगुंठन से, नयनों के बाण छोड़ ,
विहंस विहंस,  वे मधुप को लुभा रहीं ||

सर फूले सरसिज, विविध विविध रंग,
मधुर मुखर भृंग, बहु स्वर गारहे |
चक्रवाक वक जलकुक्कुट औ कलहंस ,
करें कलगान, प्रात:गान हैं सुना रहे |
मोर औ मराल लावा,  तीतर चकोर बोलें,
वंदीजन मनहुं,  मदन गुण गा रहे |
मदमाते गज बाजि ऊँट, वन गाँव डोलें,
पदचर यूथ ले,  मनोज चले आरहे |

पर्वत शिला पै गिरें, नदी निर्झर शोर करें ,
दुन्दुभी बजाती ज्यों, अनंग अनी आती है |
आये ऋतुराज, फेरी मोहिनी सी सारे जग,
जड़ जीव जंगम मन, प्रीति मदमाती है |
मन जगे आस,  प्रीति तृषा  मन भरमाये ,
नेह नीति रीति, कण कण सरसाती है |
ऐसी बरसाए प्रीति रीति, ये बसंत ऋतु ,
ऋषि मुनि तप नीति, डोल डोल जाती है ||

लहराए क्यारी क्यारी,सरसों गेहूं की न्यारी,
हरी पीली ओड़े  साड़ी,  भूमि इठलाई  है |
पवन सुहानी, सुरभित सी सुखद सखि !
तन मन  हुलसे,  उमंग मन छाई है |
पुलकि पुलकि उठें, रोम रोम अंग अंग,
अणु अणु प्रीति रीति , मधु ऋतु लाई है |
अंचरा उड़े सखी री, यौवन तरंग उठे,
ऐसी मदमाती सी, बसंत ऋतु आई है ||

 

 

–डा श्याम गुप्त

डॉ. श्याम गुप्त

नाम-- डा श्याम गुप्त जन्म---१० नवम्बर, १९४४ ई. पिता—स्व.श्री जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता, माता—स्व.श्रीमती रामभेजीदेवी, पत्नी—सुषमा गुप्ता,एम्ए (हि.) जन्म स्थान—मिढाकुर, जि. आगरा, उ.प्र. . भारत शिक्षा—एम.बी.,बी.एस., एम.एस.(शल्य) व्यवसाय- डा एस बी गुप्ता एम् बी बी एस, एम् एस ( शल्य) , चिकित्सक (शल्य)-उ.रे.चिकित्सालय, लखनऊ से वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक पद से सेवा निवृत । साहित्यिक गतिविधियां-विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से संबद्ध, काव्य की सभी विधाओं—गीत, अगीत, गद्य निबंध, कथा, आलेख , समीक्षा आदि में लेखन। इन्टर्नेट पत्रिकाओं में लेखन प्रकाशित कृतियाँ -- १. काव्य दूत, २. काव्य निर्झरिणी ३. काव्य मुक्तामृत (काव्य सन्ग्रह) ४. सृष्टि –अगीत विधा महाकाव्य ५.प्रेम काव्य-गीति विधा महाकाव्य ६. शूर्पणखा महाकाव्य, ७. इन्द्रधनुष उपन्यास..८. अगीत साहित्य दर्पण..अगीत कविता का छंद विधान ..९.ब्रज बांसुरी ..ब्रज भाषा में विभिन्न काव्य विधाओं की रचनाओं का संग्रह ... शीघ्र प्रकाश्य- तुम तुम और तुम (गीत-सन्ग्रह), व गज़ल सन्ग्रह, कथा संग्रह । मेरे ब्लोग्स( इन्टर्नेट-चिट्ठे)—श्याम स्मृति (http://shyamthot.blogspot.com) , साहित्य श्याम (http://saahityshyam.blogspot.com) , अगीतायन, हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान, छिद्रान्वेषी एवं http://vijaanaati-vijaanaati-science सम्मान आदि—१.न.रा.का.स.,राजभाषा विभाग,(उ प्र) द्वारा राजभाषा सम्मान,(काव्यदूत व काव्य-निर्झरिणी हेतु). २.अभियान जबलपुर संस्था (म.प्र.) द्वारा हिन्दी भूषण सम्मान( महाकाव्य ‘सृष्टि’ हेतु ३.विन्ध्यवासिनी हिन्दी विकास संस्थान, नई दिल्ली द्वारा बावा दीप सिन्घ स्मृति सम्मान, ४. अ.भा.अगीत परिषद द्वारा अगीत-विधा महाकाव्य सम्मान(महाकाव्य सृष्टि हेतु) ५.’सृजन’’ संस्था लखनऊ द्वारा महाकवि सम्मान एवं सृजन-साधना वरिष्ठ कवि सम्मान. ६.शिक्षा साहित्य व कला विकास समिति,श्रावस्ती द्वारा श्री ब्रज बहादुर पांडे स्मृति सम्मान ७.अ.भा.साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान ( शूर्पणखा-काव्य-उपन्यास हेतु)८ .बिसारिया शिक्षा एवं सेवा समिति, लखनऊ द्वारा ‘अमृत-पुत्र पदक ९. कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति, बेंगालूरू द्वारा सारस्वत सम्मान(इन्द्रधनुष –उपन्यास हेतु) १०..विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान,इलाहाबाद द्वारा ‘विहिसा-अलंकरण’-२०१२....आदि..