मरूधर रो मीत
राजस्थान पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय श्री कर्पूरचंद्र कुलिश जी ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें मैं जिंदगी का असली हीरो मानता हूं। एक साधारण परिवार और ग्रामीण पृष्ठभूमि से जयपुर आया युवक अपनी मेहनत से 7 मार्च, 1956 को राजस्थान पत्रिका जैसा दीपक जलाकर एक दिन कुलिशजी जैसा विराट व्यक्तित्व बन जाता है।आज मैंने राजस्थान पत्रिका और कुलिशजी पर मारवाड़ी में एक कविता लिखी है। कविता का शीर्षक है – मरूधर रो मीत। आप भी पढ़िए –
हर पानै मं मरूधर री पीड़ा,
हर आखर मं सिंह हुंकार।
ले सांच री लाकड़ी,
यो हर गोखा रो चैकीदार।
करके चेत चितार्यो गैलो,
जद सगळा चाल्या ईकै लार।
बखत पड़्यो जद बणगो पीथळ,
कदे करी ना यो उंवार।
हेत रै हाथ मं
हक री कलम सूं,
जग मं कमायो ऊंचो नाम।
हर कूणै मं म्हारो साथी,
जैपर हो चाये जापान।
सात मार्च सन छप्पन मं,
यो बण्यो मरूधर रो मीत।
धन-धन थान्नैं कुलिश जी,
म्हारो मनड़ो लीन्या जीत।
— राजीव शर्मा कोलसिया
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बहुत प्रेरक व्यक्तित्व के बारे में बताया है आपने. आभार !