“आकाश की परी मेरे घर उतर गई”
“ये जिंदगी भी मेरी अचानक मँचल गई,
ये उम्र चारू चेहरें की खातिर फिसल गई,
मुझको तो उसकी आँखों ने मदहोश कर दिया,
नशा प्यार का देकर मेरी जाना किधर गई।
फिर जिंदगी भी मेरी अचानक सँवर गई,
सूरज की किरणें खुशियाँ बनकर बिखर गई,
मेरी जान वो नादान को ढूँढा कहाँ कहाँ,
वो आकाश की परी थी मेरे घर उतर गई….!”
“नीरज पान्डेय”
बेहतरीन