कविता : एक कतरा बादल का
बादल का
नन्हा -सा कतरा
हवाओं के संग
फ़िज़ाओं का ले रंग
बारिश की महक से
गमकता
सरकता
वर्षा बूंदों को
हथेलियों में समेटे
चिडियों से चहकते मेरे आँगन में
अपने पंख़ों को समेट
उतरा
मेरा छोटा सा घरौंदा
सुगंध से भर गया
लगा
जैसे पूरा आकाश
मेरे आँगन में उतर गया…।
बहुत मोहक कविता !