दिल
बार बार सोच के दिल घबराता है
और रह रह कर रोना आता है
क्या हुआ ऐसा
िक वो बदले बदले से लगते हैं
जो हर लम्हा मुझे
मेरे साथ लगते थे
अब उनका साथ
मुश्किल से मिल पाता ह
वो कहते हैं
खुद से ज्यादा वो हमारा ख्याल रखते हैं
बिन बोले
वो दिल की हर बात समझते हैं
फिर क्यों जो रहते थे साथ हर लम्हा
उन्हें अब हमारे लिए
मुश्किल से समय मिल पाता है
यही सोच के मेरा दिल घबराता है
चाहता हूँ भूल जाऊं उनको
पर क्या करूँ
दिमाग तो सो जाता है सुबक सुबक कर
मगर दिल
रह रह कर वहीं पहुँच जाता है
और बार बार सोच के
यह दिल घबराता है
वाह !
बहुत अच्छी कविता .