साक्षर बनेगा भोला
एक गांव मे श्याम की किराने की दुकान थी।श्याम धुर्त था गाँव के ज्यादा तर निवासी अनपढ थे ।श्याम इसका फायदा उठाता था ।कभी दुकान पर आये ग्राहको सामान का वजन कम कर देता तो कभी हिसाब में गड़बड़ी कर देता।बेचारे गाँव के निवासी उसकी मक्कारी को समझ नहीं पाते थे।
एक दिन भोला दुकान पर कुछ खरीदने आया।श्याम ने सारा सामान पैक कर दिया।
“कुल कितने रूपये हुए ?”-भोला ने सामान समेटते हुए बोला।
” पाँच सौ रुपए”-श्याम ने हिसाब जोड़ कर बताया।
“श्याम भाई चार सौ रुपये ले लो,सौ रुपए मैं कल दे दूँगा।”-भोला कहा।
“मैं किसी को उधार सामान नहीं देता।”-श्याम ने कहा।
“मेरा विश्वास कीजिए।”-भोला निवेदनपुर्वक कहा।
“ठिक है,अगर तुम कह रहे हो तो मैं मान लेता हूँ पर मेरी एक शर्त है।”-श्याम ने कहा।
“कैसी शर्त ?”-भोला ने कहा।
“क्या है कि रूपये -पैसे का मामला है इसलिए तुम एक कागज पर लिख कर दो कि कल तुम मुझे बाकि के रूपये चुका दोगे।”-श्याम ने कहा।
“पर मूझे तो लिखना पढना नहीं आता ।”-भोला ने कहा विनम्रता से।
“ठिक है मैं लिख देता हूँ तुम सिर्फ अपने अँगूठे का निशान लगा दो।”-श्याम ने कहा।
श्याम ने कागज पर कुछ लिख कर भोला की ओर बढाया ।भोला उसके नीचे अँगूठे का निशान लगा दिया।दूसरे दिन भोला बकाया पैसा लौटाने दुकान पहुँचा।
“ये रहे बाकी के सौ रुपए।”-भोला ने पैसा देते हुअे कहा।
“पर ये तो सौ रुपए हैं।”-श्याम ने कहा।
“हाँ तो सौ रुपए ही बाक़ी थे।”-भोला ने आश्चर्य से कहा।
“नहीं तुम्हारे तो दो सौ रुपए बाक़ी थे,तुमने तो मुझे लिखकर रूपये देने का वादा किया था,देखो सबूत।”-श्याम ने कहा कागज दिखाते हुए।
भोला ने श्याम को ज्यादा रूपये देने से इनकार कर दिया बात बढते-बढते गाँव के मुखिया तक पहुंच गई।भोला ने हाथ जोड़कर कहा-“मुखिया जी श्याम ने मुझसे धोखेबाजी कर रहा है।मैं इसके यहाँ सौ रुपए उधार किया था पर अब यह मुझसे दो सौ रुपए मांग रहा है इसने मुझसे कागज पर निशान भी लगवा लिया है।”
मुखिया जी श्याम की ओर देखकर कहा -“क्यों रे श्याम क्या भोला का आरोप सही है।सच बता वरना तेरी दुकान बन्द करवा दूगाँ।”
डर के मारे श्याम ने अपनी गलती स्वीकार कर ली।मुखिया ने समझाते बुझाते श्याम को चेतावनी देकर छोड़ दिया।फिर भोला को समझाते हुए कहा -“भोला कहीं न कहीं तुम भी इस मामले में दोषी हो।”आखिर तुम बिना जाने समझे कागज पर अँगूठा क्यों लगाया।अगर तुम पढ़े लिखे होते तो यह नौबत नहीं आती।तुम्हारे अनपढ़ होने का फायदा श्याम जैसे लोग उठाते हैं।” मेरा सुझाव है इस धटना से सबक लेते हुए तुम पढाई करना शुरू करो।औत साक्षर बनो गाँव में पढाई की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं ।भोला को अब पढाई का महत्व आ चूका था। उसने निश्चय किया कि वह भी पढकर साक्षर बनेगा।
————निवे
संदेश परक कहानी है।निवेदिता जी।सुन्दर।
dhanybad
बहुत अच्छी लघुकथा! शिक्षा का महत्व इससे स्पष्ट होता है!
dhanybad
लघु कथा अच्छी लगी , गरीबों और अन्पड लोगों के साथ ऐसा ही होता आया आया है , इसी के आधार पर तो दो विघा जमीन फिल्म बनी थी .
dhanybad, aur aap bilkul thik kahe sriman ji