क्षणिकायें
१.
ठोकर लगी तो
पत्थर
औरत बन गया
यहीं से सिलसिला
शुरू हुआ
औरत को ठोकर
मैं रखने का
फिर सभी ने
मान लिया
शापित है स्त्री
२.
यूँ ही नहीं पूजा
जाता कोई
ना जाने कितने
ज़ख़्म
मिलते हैं पत्थर को
पत्थर से
मूर्ति बनने तक
तब जाकर
वो मंदिर
में बिठाई जाती है
३.
मेरी आँखे नम हुई है
तेरी आँखें नम देख कर
लगता है मुझ मैं कहीं
इन्सान ज़िन्दा है अभी
मीनाक्षी भालेराव
उम्दा
अच्छी क्षणिकायें !