क्यों करते हो इतना प्यार
क्यों करते हो इतना प्यार
की आँख तुम्हारी नम हो जाय
किसी की व्यर्थ की बातो स
ेजीना भी मुश्किल हो जाय
इतना सच्चा लगता है प्यार आपका
की हमसे भी रहा न जाय
जो जरा सा उदास हो आप
उदासी हमारे चेहरे प भीे छलक जाय
नही चाहते की जरा सा भी तुम्हेें हम सताएं
पर अनजाने में हम तुमको दुःख पहुंचाते जाएँ
इतना निर्मल लगे प्रेम आपका
की सही गलत कुछ समझ न पाएं
इस प्रेम की अविरल धारा में हम
तुम्हारे संग बहते जाएँ
जाने किस अनजानी डोर से बंधे
की कुछ भी कह लें एक दूजे को
पर एक पल भी दूर रह न पाये
क्यों कर्ते हो प्यार इतना की
आँख तुम्हारी नम हो जाए।
अच्छी कविता !