लघुकथा : हाउस वाईफ
टाउन हॉल खचाखच भरा था। तालियों की गड़गड़ाहट से पता चला कि मिस. रस्तोगी हाल में आ गयी है। आज उनकी कहानियों की दसवी बुक का विमोचन शहर के जाने- माने साहित्यकार के हाथो होना है।..
“आप तो एक हाउस वाईफ थी ..फिर इतनी बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल की?” पत्रकारो ने मिस रस्तोगी से सवाल किया ।
“देखिये, मेरी इस उपलब्धि और कामयाबी का सारा श्रेय मेरे पति को जाता है, जिन्होंने मुझे घर में रहकर ही कुछ करने की पुरजोर सलाह दी। वृद्ध सास- ससुर जी की सेवा टहल के कारण रस्तोगी जी को बाहर जाना बिलकुल नही जँचा। कहीं न कहीं मि. रस्तोगी भी जिम्मेवार थे।”
शान्ति पुरोहित
बढ़िया !
अच्छी लघु कथा.
so nice