कविता

स्वभाव

स्वभाव मनुष्य का
व्यक्तित्व दिखाता है
हर इंसान दुनिया मे
अलग स्वभाव पाता है
मदु स्वभाव जहां
आकर्षित करता है
कटु वहां ही विचलित करता है
इंसान जाना जाता है
अपने स्वभाव से
जान पाते हे सभी
उसके हाव भाव से
ये स्वभाव ही है जो
शिखर तक पहुचाता है
और यहीं स्वभाव हमें
मिट्टी मे भी मिलाता है
मधुरता अपने आप मे
एक पहचान देती है
कटुता निर्बलता को
झट से भांप लेती है
स्नैह और संस्कार
जहां अपनी पहचान बताते है
कङवापन वहीं हमारा
देखो मान घटाते है
कोशिश करे स्वभाव मे अपनी
ऐसी शान ले आये
जाते जाते दुनिया को
इक पहचान दे जाये

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]

4 thoughts on “स्वभाव

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया कविता !

    • एकता सारदा

      आभार आदरणीय

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

    • एकता सारदा

      शुक्रिया गुरमेल साहब हौंसला बढाने का

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