सेदोका (577 577 वर्ण)
(1)
जेठ ज्यों चूल्हा
तवा बनी धरती
सूरज सम आँच
मानव सिंकें
उबलता पसीना
हाँफती त्रस्त साँसें
(2)
तुम चंद्रमा
मेरा हृदय नभ
बंधन ये अटूट
है कोहिनूर
जिंदगी की कमाई
मुस्कानों की वजह
(3)
होंठ लजाए
छिप गयी मुस्कान
दिल की ओट ले के
खिला चेहरा
गुलाबी हुआ समां
बहका रोम-रोम
सेदोका एक विलक्षण शैली है. इसकी हर पंक्ति को समझना किसी पहेली को हल करने जैसा है. अच्छा है.