कविता

इक एहसास……….!!!!!!!

तुम तसव्वुर में हो तस्सव्वुर की तरह,
देख के तुम्हें निहाल है तसव्वुर की तरह….!

तेरा वो ख़त लिखना, लिफाफे में बंद करना,
याद आता है तस्सव्वुर में वो कोरों का भीगना..!!

बिन पढ़े ही तेरा ख़त मैं पढ़ ही लेता हूँ,
वो ज़ज्बात तूने लिखे जो जज्बातों के तस्सव्वुर में…!!!

सोचते हैं कि अब तुमने नाम लिफाफे पर लिख दिया होगा,
नजर आते हैं वो भीगते अक्षर मेरे ख्यालों के तस्सव्वुर में….!!!!

मेरे सामने ज़माने की सूनी पगडण्डी दौड़ जाती है,
तुम्हारी सूनी मांग नज़र आती है हर तस्सव्वुर में ….!!!!!

फलसफा मुहब्बत का है मुझे नहीं मालूम,
जी लेता हूँ जिंदगी तेरे ख्यालों तस्सव्वुर में….!!!!!!

एक आरजू बस इतनी सी
कि बंद न करना तू ख़त लिखना,
हर “ऋतु” मैं जी लेता हूँ
तेरे ख़त के तस्सव्वुर में…..!!!!!!

प्रकाश

सूर्य प्रकाश मिश्र

स्थान - गोरखपुर प्रकाशित रचनाएँ --रचनाकार ,पुष्प वाटिका मासिक पत्रिका आदि पत्रिकाओं में कविताएँ और लेख प्रकाशित लिखना खुद को सुकून देना जैसा है l भावनाएं बेबस करती हैं लिखने को !! संपर्क [email protected]

One thought on “इक एहसास……….!!!!!!!

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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