“व्हाट्सअप का लास्ट सीन,..या एक रिश्ते का अन्तिमदर्शन”
अरे पल्लू तुम रो क्यूं रही हो,.. कोई हमेशा के लिये तुम मुझसे दूर थोड़े ही जा रही हो,… तुम ही तो चाहती हो न कि शादी करके नई जिन्दगी शुरु करने से पहले तुम अपने कैरियर पर कॉन्सनट्रेट करो ,..और फिर कुछ ही महीनों की तो बात है,..जहां सात साल हमने इंतजार किया कुछ महीने और सही,… तम्हारी ट्रेनिंग पूरी होते ही तुम लौट आओगी,.. और मैं तुम्हारे मम्मी-पापा से तुम्हारा हाथ मांगने आऊंगा,..लो तुमने अभी तक मेरा गिफ्ट भी नही खोला,…
आई एम सॉरी,.. मैं अभी देखती हूं,.. तुमसे दूर जाने की तकलीफ में मैं भूल ही गई,… इतना कहकर पल्लवी ने गिफ्ट खोला,.. एनरॉयड फोन देखते ही पल्लवी के चेहरे पर मुस्कान और आखों में आने वाले कल के सपने तैरने लगे,..
और कुछ देर यूंही बातों,वादों और इरादों के साथ पल्लवी और समीर ने विदा ली,…
हमारे पड़ोस वाले गुप्ता जी का बेटा ‘समीर’ एक सभ्य और शालीन लड़का जो एमबीए करने बाद यहीं कोई छोटी मोटी नौकरी की तलाश में है,. ‘पल्लवी’ सड़क के उस पार बनी कॉलोनी के पहले ही मकान में रहने वाले प्रो. शर्मा की बेटी है,.. ये पार्क दोनो ही कॉलोनी के बीच बना है इसलिये दोनो ही कॉलोनी के लोग अकसर शाम को टहलते हुए,.. इस पार्क मे आ जाते थे,..
ये सब कुछ सिर्फ बीस दिन पहले हुआ मेरी ही कॉलोनी के सामने वाले पार्क में मेरे सामने,..
आज भी मैं हमेशा की तरह पार्क में टहलने के बाद एक बेंच पर सुस्ताने बैठ गई…
पास वाली बेंच पर कुछ लड़के आपस में बात कर रहे थे,..
एक ने कहा ‘दोनों में सात साल से चक्कर चल रहा था,..अभी अभी तो वो गई थी मुम्बई ट्रेंनिग के लिए,..और जाते समय समीर ने उसे मोबाइल भी गिफ्ट किया था,.
दूसरे ने कहा,.”उसी मोबाइल ने तो दोनों का रिश्ता ख़त्म कर दिया,..और पल्लवी ने आत्महत्या की कोशिश की सुना है मुम्बई के ही किसी अस्पताल में आई सी यू में है,..
पल्लवी और समीर का नाम सुनते ही मेरे होश उड़ गए,..कुछ पलों के लिए मेरी आंखो के आगे अँधेरा सा छा गया,..खुद को थोडा संयत करते हुए मैं उठकर उन लड़कों के पास गई और पूछा “बच्चों मैंने अभी तुम्हारी बात सुनी,..तुम लोग गुप्ता जी के बेटे और शर्मा जी की बेटी की बात कर रहे हो ना,..?
पहले तो वो तीनों थोडा हिचकिचाए पर मेरे फिर पूछने पर उनमे से एक ने बताया,..आंटी हम समीर के दोस्त हैं ,.समीर बहुत सदमे में है हम उसी से मिलकर आ रहे हैं,.. मैंने कहा प्लीज़ मुझे बताओगे हुआ क्या है?
उनमे से एक ने बताना शुरू किया की किस तरह दोनों सात साल से एक रिश्ते में बंधे हुए आने वाले भविष्य के सपने देख रहे थे,..उसके बाद पल्लवी के जाने और मोबाइल वाली बात जिसकी गवाह मैं खुद थी वो भी उसने बताई ,..तब मैंने उतावलेपन से पूछा तो फिर क्या हुआ?
उसने जो कहा उसे सुनकर मैं सिर पकड़ कर वहीँ बेंच पर बैठ गई,….
हुआ यूं कि समीर ने फोन में फेसबुक की आई डी और व्हाट्सऐप भी डाऊनलोड कर दिया था,..मुम्बई जाने के दो चार दिनों में ही पल्लवी ऑफिस के लोगो से घुलमिल गई थी,..नंबरों का आदान प्रदान बातचीत स्वाभाविक था,..शुरू के दो चार दिन समीर ने भी स्थिति को समझा की नई जगह में एडजेस्ट होने में वक़्त लग रहा है इसलिए पल्लवी उससे ज्यादा देर बात नहीं कर पाती होगी,..पर हफ्ता बीतते बीतते समीर को बेचैनी सी होने लगी,..सन्डे को सुबह होते ही उसने उसे कॉल किया,..पल्लवी ने कहा आज छुट्टी है ,.प्लीज़ मझे सोने दो,..उसने फिर शाम को फोन किया तो उसने ये कहकर फोन काट दिया की रूममेट्स के साथ डिनर पे जा रही हूं,..रात को कॉल किया तो थकान की वजह से उसने बात नही की,.दूसरे दिन भी काम पे जाने की जल्दी फिर थकान और काम की व्यस्तता,.. इस बीच व्हाट्सअप पर कुछ बातों के जवाब देना,..कुछ के न देना,…
पल्लवी अपनी नई लाइफ में व्यस्त रहने लगी,.नया शहर नए लोग नया माहौल,.ऐसे में वो चाहकर भी समीर को समय नहीं दे पा रही थी और इधर समीर के पास काम ही नहीं था,.. जॉब की तलाश में भी पल्लवी के जाने के बाद उसका मन नहीं लग रहा था,..जाने अनजाने उसे लगने लगा की पल्लवी उसे इग्नोर करने लगी है,..इन्ही सब के चलते उन दोनों के बीच कहा सुनी होने लगी,..कभी फोन पे तो कभी व्हाट्सअप पे दोनों लड़ ही पड़ते,..इन सब के बीच दूसरा सन्डे भी निकल गया,..
तीसरे शनिवार और रविवार दो दिन ऑफिस बंद रहने वाला था,.पल्लवी ने शुक्रवार शाम मेट्रो से रूम पर आते आते ही तय कर लिया था कि अगले दो दिन वो समीर को पूरा वक़्त देगी,..ख़ुशी ख़ुशी उसने समीर को व्हाट्सअप पर मैसेज भी कर दिया की मैं पुरे दो दिन तुम्हारे साथ हूं,..समीर बहुत खुश था,..
पर रूम में पहुंचते ही सभी दोस्तों ने बताया की अगले दो दिन सब गोआ जा रहे हैं,..पल्लवी की समझ में ही नहीं आया की वो करे तो क्या? न तो रूम पर अकेले रह सकती थी और न दोस्तों को एकदम से मना करने की हिम्मत थी,…. न ही समीर को इस प्रोग्राम के बारे में बताने की,..जब कुछ समझ नहीं आया तो अपने घर पर मैसेज छोड़ कर फोन बंद कर दिया,..
उधर गोआ में दोस्तों के साथ समय का पता ही न चला और उसपे एक ख़ुशी ये भी की गोआ में उसे अपने बचपन का दोस्त ‘रजत’ मिला जो पिछले कुछ सालों से अपने मातापिता के साथ अहमदाबाद रहने लगा था और दोस्तों के साथ गोआ घूमने आया था,..लौटते समय रजत ने अपना नंबर दिया और पल्लवी का नंबर लिया,..
मुम्बई पहुंचते ही पल्लवी ने फोन चालू किया,..समीर के सैंकडों मैसेज थे,.पल्लवी घबरा गई ये सोचकर कि क्या जवाब देगी वो समीर को,…? जैसे तैसे हिम्मत करके उसने नम्बर डायल किया ही था कि रजत का मैसेज आ गया,….कुछ देर दोनों में बातें होती रही,.. इस बीच समीर ने व्हाट्सअप पर पल्लवी को ऑनलाइन देख लिया,..कई बार चेक किया हर बार पल्लवी ऑनलाइन थी,…
समीर का दिमाग सन्न रह गया,..15 दिन पहले जिसने कभी एनरॉयड यूस भी नही किया वो रात ग्यारह बजे किससे बात कर रही होगी,..दो दिन से फोन बंद था और आज चालू करके भी बात तक नहीं की,.. रजत से बात ख़त्म होते ही पल्लवी ने समीर को कॉल किया,..जमकर झगड़ा हुआ दोनों के बीच,..समीर के गुस्से को समझते हुए पल्लवी ने माफ़ी मांगी,….दूसरे दिन कुछ मामला शांत हुआ तब पल्लवी ने गोआ ट्रिप और रजत के बारे विस्तार से उसे बताया,.बेमन से समीर सब सुनता रहा,..
पर उसके बाद ये बात उसके मन में घर कर गई कि पल्लवी बदल गई है,..यहां तक कि समीर ने उसकी फेसबुक आईडी तक खोलकर देखी जिसका पासवर्ड उसके पास था ही क्योंकि आईडी उसी ने बनाई थी,..फेसबुक में उसके गोआ ट्रिप की एलबम में उसे शॉर्ट्स पहने देख समीर आपे से बाहर हो गया,..क्योंकि पल्लवी ने उसे इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था,..पूछने पर पल्लवी ने बस इतना ही कहा कई दोस्तों की जिद की वजह से उसने शॉर्ट्स पहने और समीर को पसंद नहीं है ये सोचकर बताने की हिम्मत नहीं की और इसलिए प्राइसी सेटिंग ओनली मी भी कर दी,..
समीर का इस तरह उसकी आईडी चेक करना उसे बुरा तो बहुत लगा पर वो कुछ कह नही पाई,..अगले दो तीन दिन के झगड़े व्हाट्सअप पर देर रात तक ऑनलाइन रहने की बात को लेकर हुए क्योंकि बचपन के दोस्त रजत को भी इग्नोर नहीं कर पा रही थी,.. आखिर में तंग आकर पल्लवी ने अपना “लास्टसीन” ऑपशन बंद कर दिया,…
पल्लवी के लास्ट सीन बंद करने के बाद ही समीर ने फोन लगाकर जो कुछ कहा वो शायद पल्लवी सह नहीं पाई,..पल्लवी ने समीर के सारे इल्जामों के बाद सिर्फ इतना कहा कि
“मैंने आज ही अपने बचपन के दोस्त को हमारे रिश्ते के बारे में बताया और आज ही तुमने सब खत्म कर दिया”
“और ये लास्ट सीन का झगड़ा ही उन दोनों के रिश्ते का अंतिम दर्शन बन गया,…”
अभी पल्लवी मुम्बई के अस्पताल में मौत से लड़ रही थी और समीर अपराधबोध के साथ अपनी जिंदगी से,.. और मै,…पता नही विचारों की किन गहरी खाईयों मे गुम……!
— प्रीति सुराना
कहानी बहुत अच्छी लगी बहना . रामनवमीं की वधाई हो .
thanks