गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल/ तके है राह ये किसकी नज़र हर शाम से पहले

तके है राह ये किसकी नज़र हर शाम से पहले
बचाने लाज आया कौन आखिर श्याम से पहले

सितम हर एक सह लेंगे मगर तुम याद ये रखना
तुम्हारा नाम लेंगे लोग मेरे नाम से पहले

बुझाने प्यास को अपनी परिंदा इक भटकता है
कुआँ औ ताल सूखे हैं यहाँ पर घाम से पहले

नज़र में छवि तुम्हारी है, तुम्हारा ख्याल हरदम है
तुम्हारा ज़िक्र होता है मेरे हर जाम से पहले

किसे अपना कहें, किसको पराया हम समझ लें अब
नहीं होती असल पहचान अब अंजाम से पहले

– बृजेश नीरज

बृजेश नीरज

साहित्यिक परिचय– नाम- बृजेश नीरज पिता- स्व0 जगदीश नारायण सिंह गौतम माता- स्व0 अवध राजी जन्मतिथि- 19-08-1966 जन्म स्थान- लखनऊ, उत्तर प्रदेश भाषा ज्ञान- हिंदी, अंग्रेजी शिक्षा- एम0एड0, एलएल0बी0 लेखन विधाएँ- छंद, छंदमुक्त, गीत, सॉनेट, ग़ज़ल आदि ईमेल- [email protected] निवास- 65/44, शंकर पुरी, छितवापुर रोड, लखनऊ-226001 सम्प्रति- उ0प्र0 सरकार की सेवा में कार्यरत कविता संग्रह- ‘कोहरा सूरज धूप’ साझा संकलन- ‘त्रिसुगंधि’ (बोधि प्रकाशन), ‘परों को खोलते हुए-1’ (अंजुमन प्रकाशन), ‘क्योंकि हम जिन्दा हैं’ (ज्ञानोदय प्रकाशन), ‘काव्य सुगंध-२’ (अनुराधा प्रकाशन) संपादन- कविता संकलन- ‘सारांश समय का’ मासिक ई-पत्रिका- ‘शब्द व्यंजना’ सम्मान- विमला देवी स्मृति सम्मान २०१३ विशेष- जनवादी लेखक संघ, लखनऊ इकाई के कार्यकारिणी सदस्य

2 thoughts on “ग़ज़ल/ तके है राह ये किसकी नज़र हर शाम से पहले

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर ग़ज़ल !

  • ग़ज़ल अच्छी लगी , बहुत खूब .

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