एक दीपक
कभी नहीं डरता है चाहे जितना हो तिमिर
एक दीप अंधेरों का देता है सीना चीर
प्रेम का है तेल इसमें स्नेह की है बाती
खुशियों का प्रकाश ये देता है दिन-राती
स्वयं सितम सहकर हरता है पराई पीर
एक दीप अंधेरों का देता है सीना चीर
मंजील की राहों में सबको दिखाता दिव्य प्रकाश
सब पर जीत पाने का इसमें है आत्म-विश्वास
हरदम जलता रहता चाहे आँधी आये या नीर
एक दीप अंधेरों का देता है सीना चीर
जो सज्जन दूसरों के लिए दीपक जैसा जलता है
अज्ञानता का अंधकार मिटाकर जग को उज्जवल करता है
ऐसे लोग ही कहलाते हैं दुनिया में कर्मवीर
एक दीप अंधेरों का देता है सीना चीर
-दीपिका कुमारी दीप्ति
सुंदर भावाभिव्यक्ति !
अच्छी कविता और अच्छे भाव !
भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई