मन -मीत…
अधरों पर बंशी धर”मोहन”
छेड दे कोई गीत…
ओ मेरे मन -मीत अब तो आ,
मेने तो सुध-बुध भी,
बिसराई है….
कोयल ने कूक छेडी,
पर मेरे मन में उदासी,
घनेरी है..
अमीया महकी, ऋुत भी चहकी,
पर बिन तेरे प्रीत ,रीत लागे,
झूठी है…
ओ मेरे-मन -मीत लौट आ कि,
नैना थके, “राधा” तेरी,
राह तके है…
...राधा श्रोत्रिय”आशा”