कविता

मन -मीत…

अधरों पर बंशी धर”मोहन”
छेड दे कोई गीत…
ओ मेरे मन -मीत अब तो आ,
मेने तो सुध-बुध भी,
बिसराई है….
कोयल ने कूक छेडी,
पर मेरे मन में उदासी,
घनेरी है..
अमीया महकी, ऋुत भी चहकी,
पर बिन तेरे प्रीत ,रीत लागे,
झूठी है…
ओ मेरे-मन -मीत लौट आ कि,
नैना थके, “राधा” तेरी,
राह तके है…

...राधा श्रोत्रिय”आशा”

राधा श्रोत्रिय 'आशा'

जन्म स्थान - ग्वालियर शिक्षा - एम.ए.राजनीती शास्त्र, एम.फिल -राजनीती शास्त्र जिवाजी विश्वविध्यालय ग्वालियर निवास स्थान - आ १५- अंकित परिसर,राजहर्ष कोलोनी, कटियार मार्केट,कोलार रोड भोपाल मोबाइल नो. ७८७९२६०६१२ सर्वप्रथमप्रकाशित रचना..रिश्तों की डोर (चलते-चलते) । स्त्री, धूप का टुकडा , दैनिक जनपथ हरियाणा । ..प्रेम -पत्र.-दैनिक अवध लखनऊ । "माँ" - साहित्य समीर दस्तक वार्षिकांक। जन संवेदना पत्रिका हैवानियत का खेल,आशियाना, करुनावती साहित्य धारा ,में प्रकाशित कविता - नया सबेरा. मेघ तुम कब आओगे,इंतजार. तीसरी जंग,साप्ताहिक । १५ जून से नवसंचार समाचार .कॉम. में नियमित । "आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह " भोपाल के तत्वावधान में साहित्यिक चर्चा कार्यक्रम में कविता पाठ " नज़रों की ओस," "एक नारी की सीमा रेखा"