कविता

आपकी नींद

आपकी बातें
दिल को छू जाती हैं
क्योंकि
हमारी वजह से
नींद भी आपकी आँखों को छोकर
लोट जाती है
क्या कहूँ की आप क्या चीज़ हो
जो बंद आँखों से भी
जाने कितना कुछ कह जाती हो
होती हो तो होने का अहसास दिला जाती हो
और नही  होती
तो पता नही कितना मुझे रुला जाती हो
तुम्हारा होना आज कितना जरूरी है मेरे लिए
यह अनुमान भी नही क्र सकोगे
क्योंकि आपके होने से मेरी रुकी सांस भी
लोट आती है
और नही होते तो
चलती सांस भी थम सी जाती है
अब तुम्ही बताओ
तुम कहती हो नही करते हो प्यार मुझको
गर यह प्यार नही
तो क्यों मेरे होने से
तुम्हारे चेहरे पे मुस्कान चली आती है
और न देखो कुछ पल के लिए
तो पलके तुम्हारी भी भीग जाती हैं
शायद यही वो वजह तो नही
जिसकी वजह से
नींद भी आपकी आँखों को छोकर
लोट जाती हैं

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

2 thoughts on “आपकी नींद

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह बहुत खूब !

    • महेश कुमार माटा

      धन्यवाद जी।

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