जीवन क्या है?
जीवन क्या है?
कभी सोचता हूँ
क्या सिर्फ ये भागमभाग है
या कहीं कोई ठहराव भी है
या यह एक मृगमरीचिका
जहां हमेशा ही कुछ
पाने की दौड़ है
पर मिलने पर लगता है
की और चाहिए
जहां सिर्फ भौतिकता की चाह है
धन की भूख है
चहुंओर प्रकाश ही प्रकाश है
दिन हो या रात
पर मन में अंधेरा ही अंधेरा है
दिलों में संकुचन है
आत्मायें मृतप्राय सी प्रतीत होती हैं
फिर सोचता हूँ
क्या यही जीवन है
क्या यही ईश्वर से कामना थी
क्या सिर्फ पैसे से ही जीवन है
या जीवन कुछ और है
यही तो एक उलझन है
कोई तो सुलझाये
कोई तो हमे बताये
यही सोचता हूँ
जीवन क्या है?
दिनेश पाण्डेय “कुशभुवनपुरी”
सुंदर प्रस्तुतीकरण
अच्छे विचार !