गीतिका- मत भटक मुसाफिर राह में चल
मत भटक मुसाफिर राह में चल।
अपने प्रियतम की चाह में चल॥
उसके जैसा नहीं यार कोई।
उसके यादों की थाह में चल॥
जीवन में संकट आये कोई।
संग-संग उसके आह में चल॥
एक दिन मंजिल मिल जाएगी।
यार उसके ख्वाबगाह में चल॥
मरते दम तक मत धैर्य तू खो।
अपने रब के खैरख़्वाह में चल॥
— दिनेश पाण्डेय “कुशभुवनपुरी”
बढ़िया हिंदी ग़ज़ल !