कुर्सी की महिमा
मैं हूँ कुर्सी महारानी
सुनो मेरी कहानी
हर तरफ हर क्षेत्र में
चलती मेरी मनमानी
मेरे कारण कितनों ने
खेली खूनों की होली
अपनों से भी तोड़वा दूँ रिस्ते
वो चीज हूँ मैं अलबेली
माँ की गोद ज्यादा आनंद
मेरी गोद में मिलता हरदम
मुझे पाकर हर मानव
भूल जाता अपना सब गम
इस यूग क्या हर यूग में
हुई मेरी ही चाहत
श्रीराम गये वन में
हुआ यूद्ध महाभारत
मेरे लिए तो औरंगजेब ने
मार दिया अपना सब भाई
हिटलर ने लाखों को मारा
कर दी दुनिया से लड़ाई
लक्ष्मी मेरे पैरों में बसती
सरस्वती का सेवक आता है
पर मेरे पास आते ही
दूर्गा रुप ले लेता है
मेरी गोद में बैठकर कितने
करते हैं मेरा अपमान
तोड़कर मेरे नियम-कानून
करते हैं मुझको बदनाम
अर्ज है मुझको चाहने वाले
रखें मेरी भी इज्जत
मेरी गोद में बैठकर जरा
करें मेरी भी हिफाजत
-दीपिका कुमारी दीप्ति
बढ़िया ! आपने कुर्सी की राजनीति की झलक दिखाई है!