नानाजी की छड़ी…!!
नानाजी के घर में पहली बार हुई
चुन्नु-मुन्नू के बीच में तकरार हुई
मुन्नू की गाड़ी लेकर चुन्नु दौड़ गया
फिर मुन्नू भी चुन्नु का घोड़ा तोड़ गया
दोनों के इस झगड़े से घर में छिड़ गया घमासान
कहीं गिरे बरतन, गुलदस्ते,
बिखरा घर, सारा सामान
बिखरी प्लेटें, बिखरे कप और गिरी घड़ी
नानाजी की चुन्नु-मुन्नू को दिखी छड़ी
नानाजी की छड़ी देख दोनों का मन घबराया
बिखरा था सामान फटाफट अपनी जगह जमाया
चुन्नु ने लगाई झाड़ू और मुन्नू ने लगाया पोंछा
कर दें पूरे घर की सफाई दोनों ने यह सोचा
नानाजी आए देखा घर कुछ बदला बदला था
चारों कोने चमक रहे थे
आँगन उजला उजला था
चुन्नु को पूछा नाना ने
किसने घर की
की ये सफाई?
मुन्नू ने नानाजी को उनकी
लम्बी छड़ी दिखाई
जादुई छड़ी का किस्सा जब मुन्नू ने उन्हें सुनाया
नानाजी ने बैठ पलंग पे एक ठहाका लगाया…
बहुत अच्छी लगी यह बाल कविता.
धन्यवाद गुरमेलजी
बहुत मजेदार बाल कविता !
धन्यवाद भाईसाहब