साहित्यकार और समाज
साहित्यकार समाज का करता है अन्वेषण
समाजिक अनुभवों का करता है विश्लेषण
समाज से पायी बातों को लेखनी में समेटकर
रचनात्मक रुप देकर करता समाज को अर्पण
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साहित्यकार संस्कृति की बातें बताता है
समाजिक बातों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाता है
सामाजिक कुरितियों पर कठोर आघात करके
समाज में परिवर्तन की नयी क्रांति लाता है।
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एक सच्चे साहित्यकार को डरने की न आदत
लेखनी उसकी पूंजी है सच्चाई उसकी ताकत
वह जज नहीं है जो सबूत देखता है
उसका तो है अपना दिल ही अदालत
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-दीपिका कुमारी दीप्ति
वाह वाह , बहुत खूब .
धन्यवाद सर !
बढ़िया !