मुंबई की लोकल में महिलाओं को समस्याएं
मुबई देश की धड़कन समझा जाने वाला शहर| जहा रोज सेकड़ो की संख्या में लोग रोजगार कमाने का सपना आँखों में लिए आते है| जिससे दिन-ब-दिन यहाँ की जनसँख्या में इजाफा हो रहा है| यहाँ ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाये भी काफी बड़ी संख्या में कामकाजी है|
जहा हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी बेटी बचाओ बेटी पढाओ व महिलाओ को सशक्त करने की बात करते है| जहा औरतो को हर जगह समान अधिकार देने की बात कही जाती है, वही मुंबई लोकल में इसके विपरीत नजारा देखने मिलता है| इसका सीधा उदहारण है मुंबई की लोकल ट्रेन में महिलाओ के लिए जहा डिब्बो की संख्या ना सिर्फ कम है बल्कि उन्हें भी विभाजित किया गया है| जहा एक तरफ द्वितीय वर्ग के डिब्बे को काट कर अपंगो की व्यवस्था कर दी | वहीं हद तो तब है जहा प्रथम वर्ग के तीन डिब्बे होने के बावजूद एक भी पूर्ण रूप से महिलाओ के लिए आरक्षित नहीं है| तीनो डिब्बो में सिर्फ एक चोथाई से भी कम भाग यानी बहतर[७२] सीटो में से सिर्फ चोदह सीटें महिलाओ को दी गयी है| १४ सीटो के डब्बे में कम से कम ५० लोग चढ़ते है| अब आगे का नजारा रेलवे मंत्रालय खुद सोच सकता है के डिब्बे के अंदर यात्रियों का क्या हाल होगा|
जहां द्वीतीय श्रेणी का किराया उल्हासनगर से छत्रपति शिवाजी टर्मिनस तक का २० रुपये है वही प्रथम श्रेणी का किराया १७० रुपये है| ज्यादा किराया देने के बावजूद इसमें न सिर्फ महिलाओ, बच्चो की सुरक्षा और सहूलियत को ताक पर रखा जाता है| बल्कि इतनी कम मात्र में औरतो के लिए जगह होने पर मजबूरीवश भेड़ बकरियों की तरह उन्हें सफ़र तय करना पड़ता है| महिलाये और पढने वाले बच्चे इसमें कभी-कभी अपनी जान को जोखिम में डाल कर भी सफर करते है| कई बार कई महिलायें इसमें हादसों का शिकार हो चुकी है| मगर हैरानी की बात है आज तक कभी रेलवे प्रशासन ने इन बातो की और ध्यान नहीं दिया| रेलवे प्रशासन को सिर्फ महिला यात्रियों से रोज लाखो की कमाई होती है| और उनकी ही इस तरह अनदेखी करना कहा तक उचित है?
में ना सिर्फ हमारे रेलवे मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु जी बल्कि हामरे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से भी यह निवेदन करना चाहुगी की कृपया इस तरफ भी ध्यान दे व महिलाओ की अनदेखी ना की जाये| समय रहते इस मामले को गर गंभीरता से ना लिया गया तो औरते सडको पर उतरने को मजबूर हो जायेगी| जिसकी पूरी जिमेदारी रेल अधिकारियों व जनप्रतिनिधियो की होगी|
— प्रिया वच्छानी
आपने एक विराट समस्या की और ध्यान खींचा है. धन्यवाद !