लघुकथा : वापसी
“यमदूत ! तुम किस ओमप्रकाश को ले आए. यह तो हमारी सूची में नहीं है. इसे तो अभी माता-पिता की सेवा करना है, भाई को पढाना है. भूखे को खाना खिलाना है और तो और इसे अभी अपना मानवधर्म निभाना है.”
“जो आज्ञा, यमराज.”
“जाओ ! इसे धरती पर छोड़ आओ और उस दुष्ट ओमप्रकाश को ले आओ. जो पृथ्वी के साथ-साथ माता-पिता के लिए बोझ बना हुआ है .”
यमदूत नरक में बोझ बढ़ाने के लिए ओमप्रकाश को खोजने धरती पर चल दिया .
— ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
बढ़िया लघु कथा !