ग़ज़ल : ममता
मुझपे ममता का रंग डाला है।
मेरी आँखों में जो उजाला है।
बस दुआ देके दर्द खींच लिया,
माँ तेरा प्यार भी निराला है।
तेरी हिम्मत की दाद देता हूँ,
कितनी मुश्किल से हमको पाला है।
तुमने तालीम दी हक़ीक़त की,
हमके गिरते हुये संभाला है।
माँ तेरी हर छुअन है फूलों सी,
तुमने काँटा हर एक निकाला है।
मेरी ख्वाहिश जो कर सको पूरी,
मेरी आदत में खुद को ढ़ाला है।
“देव” माँ को सुकून है मुझसे,
मुझको भी माँ का नाम आला है। ”
……चेतन रामकिशन “देव”…….
ग़ज़ल अच्छी लगी .
बहुत अच्छी ग़ज़ल !