कविता
उस दिन
खुली थी बात
जब मेरी खुशी
झलकती है
तेरी आँखों में झाँकने पर
मेरा दर्द
तुम्हारे पलकों तले
नमी में
होता है कहीं दबा
तुम लाख छिपाओ
दिल की बात
जान ही जाती हूँ मैं
तुम्हारी मौन की भाषा
पढ़ ही लेती हूँ
अहसासों की किताब का
हर पाठ,
क्योकि मैं तुम्हारे प्यार में हूँ
— सरिता दास
बहुत खूब .
बहुत अच्छी कविता !