मन है अपना
सौभाग्य से मिला है जीवन
करो न इसे व्यर्थ निलाम
ऊँचाईयों पर चढ़ने के लिए
बना लो अपना भी मकाम
मन नहीं करता जी नहीं लगता
ऐसी बातें कभी न करना
दुनिया की सब चीज पराई
लेकिन ये हमारा मन है अपना
मेरा मन है मेरा नहीं तो
किसकी कहना मानेगा
छोड़ दें यदि लगाम इसकी
मिट्टी में तुरंत मिला देगा
मन लगाकर काम करने से
मेहनत भी लगता मनोरंजन
पत्थर पिघल मोम बन जाता
तालाब सा दिखता समंदर
मन से सेवा मन से पूजा
मन से किसी से प्यार करो
नियत में कभी खोट न आये
हँस के हर राह पार करो
भूले भटके राही तेरे
कदमों से मंजिल पायेंगे
तेरी दृढ़ लगन देखकर
तूफाँ भी शाहिल बतायेंगे
महत्वकांक्षी के जीवन में
कभी आता नहीं अंधेरा
कामयाबी- सफलताओं का
होता है सदा बसेरा
दिल दिमाग लगाकर जब
लक्ष्य की ओर बढ़ जाओगे
हर विघ्न बाधा से लड़कर
मंजिल पर तुम चढ़ जाओगे
-दीपिका कुमारी दीप्ति
अच्छी कविता !