कविता

पापा की जब याद आती है !

पापा की जब याद आती है !
चेहरे पे वो बच्चपन की यादो की मुस्कान आती है !!

वो आँगन में पायल की झंकार!
सुनकर पापा के दिल में उमड़ता हुआ वो प्यार !!

खाकर ठोकर वो दहलीज के पत्थर पर लुढ़क जाना !
अगले ही पल पकड़ के पापा की उँगली फिर से संभल जाना !!

आज एक बार फिर से उनकी याद से आँखे भर आई है !
कठिन दौर में भी उनके मुस्कुराने वाली वो तस्वीर फिर से याद आई है!!

मेरी जीत के लिए सौ बार हारने वाले उस सख्स की!
““हाँ बेटा जी”” जैसे लफ्जों की आवाज

दूर देश से एक बार फिर कानो में टकराई है!!

मंजू –
आस्ट्रेलिया

मंजू, ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में अध्ययनरत

2 thoughts on “पापा की जब याद आती है !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बेतिओं को पापा की याद माँ से भी ज़िआदा आती है . अच्छी कविता .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर भावनाएं !

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