आपने मांगी ही कब ३७० सीटें ?
अब बेहद आश्चर्य हो रहा है जब राम मंदिर,धारा ३७० आदि मुद्दों के जवाब में अमित शाह जी उलटे लोगों को ही संविधान सिखा रहे हैं की ये आपको मालुम होना चाहिए की उसके लिए लोकसभा में ३७० सीटें चाहिए ! पहले संविधान पढ़कर आइये फिर बात कीजिये ! और बेचारे लोग और पत्रकार इतने दमदार तर्क के आगे बिलकुल चुप !!!
लेकिन कोई ये अमित शाह जी से क्यूँ नहीं पूछ रहा की ओ मेरे भाई ! भारत के लोग और यहाँ तक की ऐसा सवाल पूछने वाले पत्रकार भी आपके हिसाब से महा अज्ञानी होंगे ,लेकिन आप एक देश के सत्ता की दावेदार और सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष हो न ? फिर आपको भी ये चुनाव होकर सत्ता हासिल करने के एक साल बाद पता चला ?? और अगर पहले से पता था तो बताइये इस या किसी भी लोकसभा चुनाव के किसी भी रैली या सभा में आपने या आपके बी जे पी के किसी भी नेता ने कब इन बी जे पी की पहचान माने जाने वाले मुद्दों के लिए 370 सीटें दिलाने की जनता से अपील की ? कब मांगी आपने ३७० सीटें ??
यहाँ तक की २०१४ के चुनाव में स्वयं मोदीजी ने भी इतनी सीटें नहीं मांगी ! उन्होंन जीतनी सीटें मांगी उससे ज्यादा जनता ने दे दी !! तो क्या वो आपको ३७० सीटें नहीं दे सकती थी ?? फिर ? आप सीटों का रोना कैसे रो सकते हो भाई ? और न ही इसके लिए जनता को दोष देकर यह दिखाना चाहते हो की देखो हम तो करना चाहते हैं लेकिन आप ही लोगों ने हमें ३७० सीटें नहीं दी तो अब क्या करें ? फिर से वही सवाल आएगा की जब आप उतनी सीटें मांगेंगे ही नहीं तो जनता देगी कैसे ? इसका मतलब साफ़ है की जिसका ठीकरा आप जनता के सर पर फोड़ना चाहते हो उसके लिए जनता कतईं जिम्मेदार नहीं ! और अगर उसे ३७० सिट वाली संवैधानिक अड़चन का पता नहीं तो इसके लिए भी वो कतईं जिम्मेदार नहीं क्यूँ क आपने वादा करते वक्त न तो ये कभी बताया और न उतनी सीटें मांगी !
इसीलिए शाह जी ये तो तय है की इसका ठीकरा आप जनता पर नहीं फोड़ सकते ! आपने ३७० सीटें नहीं मांगी सो नहीं मांगी | आपने सिर्फ पूर्ण बहुमत माँगा ! वो आपको मिला | लेकिन क्या अब यह सवाल नहीं रह जाता की जब राम मंदिर ,धारा ३७० ,सामान नागरी कानून आदि बी जे पी के सीधे सीधे अस्तित्व से जुड़े बरसों से लटके मुद्दों को अमली जामा पहनाने के रास्ते में जब मात्र ३७० सीटें ही अड़चन थी और आपको यह अच्छी तरह मालुम था तो वो आपन इस चुनाव में भी क्यूँ नहीं मांगी ? और क्यूँ सिर्फ वह बहुमत ही माँगा जो आपको सत्ता तो दिला सकता था लेकिन राम मंदिर ,धारा ३७० ,सामान नागरी कानून आदि बी जे पी के सीधे सीधे अस्तित्व से जुड़े मुद्दों अमल में लाने के लिए किसी काम का नहीं है ?
संविधान में संशोधन करने के लिए दो तिहाई बहुमत होना आवश्यक है. भाजपा को आशा थी कि विरोधी दल अच्छे कामों में उनको सहयोग करेंगे, पर उनका रवैया निराशाजनक है. इसीलिए अमित शाह जी 370 सीट चाहते हैं. अगर आपको इस पर आपत्ति है तो आप उनके लोकतान्त्रिक अधिकार का हनन कर रहे हैं.