नवगीत : हम सो गए
हम सो गए तेरी बाहों में
हम खो गए अनजानी राहों में
अपनी साँसो को तेरी साँसो से मिलाकर
चेहरे से तेरी जुलफोँ को हटाकर
निहारूं मैं तुझे चाँदनी रात में
आज तू मुझे लेले अपने आघोश में
हम सो गए तेरी बाहों में
हम खो गए अनजानी राहों में
कुछ पता ही न था क्या हो रहा है
मन खामोश था दिल खो रहा है
सिर्फ तेरा चेहरा नजर आता है
सिर्फ तेरा पेहरा मुझे भाता है
हम सो गए तेरी बाहों में
हम खो गए अनजानी राहों में
जीने दे मुझको जरा
अपने ही प्यार में
हम सो गए तेरी बाहों में
हम खो गए अनजानी राहों में