हरे भरे वृक्ष ………
ये हरे भरे वृक्ष हमे ,
सदा यु ही भाते हैं |
अपने बड़े -बड़े टहनियों से ,
ठंढी हवा बहाते हैं |
फलों से झुकी डाली ,
नित नया सजाते हैं |
अपने लिए तो कुछ नहीं ,
पराये के लिए सब करते हैं |
फिर भी इसका दुसमन ,
क्यों बना हुआ है इंसान |
इसकी कटाई कर ,
क्यों जीना चाहता हैं |
इस पर ही तो सारी ,
ये दुनिया टिकी हुई हैं |
आज के दिन हम ,
ये प्रण ठानते हैं |
जितना हो सके हमसे ,
तुम्हारी सेवा करते रहेंगे |
इस प्यारी -प्यारी धरती को ,
नित्य हरा -भरा बनाएंगे |……….
. निवेदिता चतुर्वेदी ……..
पर्यावरण पर अच्छी कविता!!
dhanybad
आज के प्र्य्वर्ण दिवस पर अच्छा सन्देश . हर किसी को अगर जगह हो तो ब्रिक्ष लगाने चाहिए ,अगर न भी हो सके तो घर में कोई प्लांट यह कुछ भी जैसे मिर्च का बूटा , टमाटर या शिमला मिर्च , घर में कुछ भी उगाया जा सकता है ,सिर्फ चाहत हो .
dhanybad , aap bilkul sahi kah rahe hai sriman jee
पर्यावरण का सन्देश देती अच्छी कविता !
dhanybad