दो मुक्तक
दुल्हन सी सजी धरती को विधवा लिवास न पहनाओ
वृक्ष इसके हैं प्यारे बच्चे इसे बांझ मत बनाओ
माना कि धरती माँ में सहनशक्ति अनंत है
सारा सब्र टूट जाये इसे इतना भी मत सताओ
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पूरे ब्रह्मांड में है मानव प्राणी सबसे अनोखा
ये बुद्धिजीवी खुद को ही क्यों दे रहा है धोखा
फैला रहे हैं गंदगी काट रहे हैं वृक्ष को
अपने स्वार्थ के लिए प्रदुषण भी न रोका
-दीपिका कुमारी दीप्ति
बहुत बहुत धन्यवाद सर !
सुंदर मुक्तक है जी ।
बहुत अछे हैं .
अच्छे मुक्तक !