मेहंदी और नारी
मेहंदी नारियों की प्रिय श्रृंगार होती है,
दोनों का जीवन एक ही समान होती है।
हर जगह दोनों तोड़ी-पीसी जाती है,
खुद लूटकर औरों को रंगीन बनाती है।
दुसरे के हाथों अपनी जीवन वार देती है,
अपनी खुशियों को खुशी से अर्पण करती है।
अपनी खुशबू से दुनिया को महकाती है,
लाख सितम सहकर दुसरों को हँसाती है।
बाँटने वालों को भी ये खुशी का रंग देती है,
फिर भी दुनिया हर कदम पर परीक्षा लेती है।
गैरों को सजाने के लिए खुद बिखर जाती है,
कोई नहीं पूछता जब इनकी रंगत उतर जाती है।
– दीपिका कुमारी दीप्ति
बढ़िया !