हाइकु/सेदोका

हाइकु : तेरे बिन माँ

 

आँगन सूना
भाए नहीं पीहर
तेरे बिन माँ

राह तकें ना
नैन बिछाए कोई
दर पे खड़ा

छूटा आँचल
दर्द बहाऊं कहाँ
टूटा ये दिल

लाँघ न पाऊं / कैसे लांघूं माँ
मैं घर की चौखट
छलके आंसू

मिले न छाया

वो ममता का साया
दम लूँ कहाँ?

बतला ज़रा
तुझे लाऊं कहा से
समझा ज़रा.

2 thoughts on “हाइकु : तेरे बिन माँ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छे हाइकु !

    • मनजीत कौर

      आदरणीय विजय भाई साहब, हाइकू पसंद करने और होंसला अफजाई करने के लिए आप का बहुत शुक्रिया जी |

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