हाइकु : तेरे बिन माँ
आँगन सूना
भाए नहीं पीहर
तेरे बिन माँ
राह तकें ना
नैन बिछाए कोई
दर पे खड़ा
छूटा आँचल
दर्द बहाऊं कहाँ
टूटा ये दिल
लाँघ न पाऊं / कैसे लांघूं माँ
मैं घर की चौखट
छलके आंसू
मिले न छाया
वो ममता का साया
दम लूँ कहाँ?
बतला ज़रा
तुझे लाऊं कहा से
समझा ज़रा.
बहुत अच्छे हाइकु !
आदरणीय विजय भाई साहब, हाइकू पसंद करने और होंसला अफजाई करने के लिए आप का बहुत शुक्रिया जी |