प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक बांग्लादेश यात्रा
विगत 6 व 7 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा कई मायने में ऐतिहासिक व सफल कही जा सकती है। पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा की हनक और धमक भारत के धुर विरोधी चीन और पाकिस्तान दोनों में ही सुनायी पड़ रही है। वहीं भारत के अंदर प्रमुख राजनैतिक विरोधी दल कांग्रेस को भी मिर्ची लगी हुई है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि पीएम मोदी ने बांग्लादेश में श्रीमती इंदिरा गांधी का नाम नहीं लिया, वहीं पाकिस्तान का कहना है कि बांग्लादेश में पीएम मोदी के भाषण से माहौल बेहद खराब हुआ है। पाकिस्तान का मानना है कि वहां पर मोदी ने भड़काऊ भाषण दिया है। वैसे भी अपनी बांग्लादेश यात्रा से पीएम ने एक तीर से कई निशाने साधने का अदभुत प्रयास किया है। अब वह कितना कारगर होगा यह तो समय ही बतायेगा।
पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा कई मायने में ऐतिहासिक कही जा रही है। अभी तक कई प्रधानमंत्री बांग्लादेश यात्रा पर तो गये लेकिन पहली बार 41 वर्षों से अटके पड़े सीमा संम्बधी समझौते सहित लगभग 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। बांग्लादेश के साथ ऐतिहासिक बस यात्रा की शुरूआत हुई है। यह बात अवश्य हुई है कि तीस्ता नदी जल विवाद अभी हल नहीं हो सका है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ बांग्लादेश यात्रा पर नहीं जाने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीएम मोदी के साथ यात्रा पर जाने के लिए तैयार हो गयीं जिसका असर दिखलायी पड़ा है। यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण बात और हुई है कि बांग्लादेश ने हमारे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी को अपने प्रतिष्ठित मुक्ति संग्राम सम्म्मान से सम्मानित किया। इस सम्मान समारोह में बांग्लादेश के सभी शीर्ष राजनीतिज्ञ, अधिकारीगण, राजनयिक आदि उपस्थित रहे।
यात्रा के दौरान बस सेवा को भी हरी झंडी दिखायी गयी है। इस बस सेवा के प्रारम्भ होनेे से बांग्लादेश और हमारे पूर्वोत्तर राज्यों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा मिलेगा, आवा-जाही आसान हो जायेगी। अभी बांग्लादेश से सामान लाने ले जाने के लिए सिंगापुर का सहारा लेना पड़ता था, वह काफी खर्चीला व समय की बर्बादी भी करता था। जिन दो बस सेवाओं को हरी झंडी दिखायी गयी, उनमेें एक कोलकाता से ढाका होते हुए अगरतला तक जायेगी जबकि दूसरी बांग्लादेश की राजधानी ढाका से मेघालय की राजधानी शिलांग होते हुए गुवाहाटी तक जायेगी। ये बस सेवाएं पश्चिम बंगाल को ढाका के रास्ते पूर्वोत्तर के तीन राज्यों से जोड़ेंगी। सबसे महत्वपूर्ण समझौता रहा सीमा भूमि विवाद पर जो कि पिछले 41 सालों से लम्बित पड़ा था। इस समझौते से भारत अपने सभी पड़ोसियों को यह संकेत देने में सफल रहा है कि वह वादों पर अमल भी करता है और राजनैतिक इच्छाशक्ति होने पर सभी कठिन से कठिन समस्याओं का निराकरण भी हो सकता है। निश्चय ही यात्रा की सबसे बड़ी सफलता भूमि सीमा समझौते की है।
यह समझौता बेहतर सम्बंधों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है। यात्रा के दौरान बंगबंधु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने अंतिम उद्बोधन में पीएम मोदी ने खुलकर अपने विचार व्यक्त किये और उन्होंने चीन पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र संघ पर तीखे प्रहार किये। पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि विस्तारवाद का मुकाबला विकासवाद की नीति से ही किया जा सकता है। मोदी का संकेत चीन की विस्तारवाद की नीति के मुकाबले क्या करना है पर फोकस था। वहीं पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपनी 70वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है लेकिन वह वहीं का वहीं पड़ा है। उसके पास आतंकवाद से मुकाबला करने की कोई ठोस रणनीति नहीं है। भारत जैसे गरीब व विशाल जनसंख्या वाले देश को अभी संयुक्त राष्ट्र में वीटो का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। भूमि सीमा विवाद समझौते का हल होने पर कहा कि अभी यह घटना यदि यूरोप व विश्व के किसी अन्य हिस्से में हुई होती तो पूरे विश्वभर में जलसे मनाये जा रहे होते तथा नोबेल का शांति पुरस्कार देने की चर्चा तक होने लगती, मोदी ने कहा कि लेकिन हमें यह नोबेल नहीं मिलेगा क्योंकि हम लोग गरीब देश के लोग हैं। नकली नोटों के मामले पर भी उन्होंने पाकिस्तान पर ही हमला बोला । पीएम मोदी ने यह भी जोर देकर कहा कि भारत ने कभी जमीन के लिए युद्ध नहीं किया। मोदी का यह भाषण मीडिया में अभी तक सुर्खियों में बना हुआ है। पाकिस्तान भड़का हुआ है।
इस यात्रा केे दौरान रेल, सड़क, समुद्र मार्ग से आवाजाही को बढ़ाने का समझौता हुआ। भारत बांग्लादेश के बीच समुद्री नौवहन समझौता हुआ जिसके कारण बांग्लादेश के दो बंदरगाहों तक भारत की पहुंच हो गयी है। चाहे जो हो पीएम मोदी की यात्रा काफी सफल व ऐतिहासिक मानी जा रही है। इस यात्रा से पीएम मोदी की सार्क देशों को एकसूत्र में पिरोने ओर रिश्ते की डोर को मजबूत करने के प्रयासों को एक बड़ी सफलता की कड़ी माना जा रहा है। इस प्रकार के समझौतों से दक्षिण एशिया में व्याप्त गरीबी, अशिक्षा, भुखमरी से तो लड़ा जा सकता है साथ ही आतंकवाद के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ाई भी लड़ी जा सकती है। पीएम मोदी की यात्रा का राजनैतिक पोस्टमार्टम अभी भी जारी है। लेकिन इससे विपक्षी दलों को लाभ होने की बजाय हानि अधिक हो सकती है।
— मृत्युंजय दीक्षित
बहुत अच्छा लेख. मोदी जी की बांग्लादेश यात्रा के बहुत दूरगामी परिणाम होंगे. पूर्वी सीमा पर मित्र देश होने से भारत का ध्यान अपनी पश्चिमी सीमाओं की रक्षा पर अधिक अच्छी तरह लगेगा.