कुण्डली/छंद

करारी हास्य कुण्डलियाँ

दुनिया जबसे कर रही मोदी मोदी जाप।
सभी विरोधी पार्टियों के लोटें दिल पे सांप।
लोटें दिल पे सांप कांग्रेस हक्का बक्का।
आउल हिट विकेट औ’ मोदी मारे छक्का।
कह पुनीत कवि केजरी सटके खून के घूँट।
आखिर तो आ ही गया नीचे पहाड़ के ऊँट।

डॉगविजय हों, ‘कपि’ल हों, हों चाहे “खुर”शीद।
टुकड़खोर ये पालतू करते मुंह से लीद।
करते मुंह से लीद, देश से बस ये नाता।
एक विदेशी बना दई भारत की माता।
कह पुनीत कवि बनके मैडम “भारत माई”।
हरियाणा गुडगाँव दहेज़ में दिया जमाई?

मुल्लायम जी खिन्न हैं, बाँट लैप के टॉप।
जनता धता बता गयी, चूस के लालीपॉप।
चूस के लालीपॉप, बात कुछ समझ न आई।
हड्डी फेंकी फिर भी, जनता दुम न हिलाई।
कह पुनीत कवि जान गया तुमको है जन जन।
दूध पिया जिस मां का उसको कहते डायन?

सांप छछूंदर मिल रहे, मिले भालू से लालू।
उछल रहे कि भैय्या हम तो एक खेत के आलू।
एक खेत के आलू गलबहियां ये कब तक?
सत्ता हथियाने पे बंदरबांट हो तब तक?
कह पुनीत कवि क्यों न ये सब मिलके घेरें।
आखिर तो ठहरे ये भाई भाई मौसेरे।

पुनीत ‘नई देहलवी’

पुनीत नई देहलवी

परिचय: पुनीत गुप्ता पेशे से एक विज्ञापन फ़िल्म निर्माता और छायाचित्रकार हैं। बचपन से ही पुस्तकों से रूचि रही। अबतक कई कहानियां विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। चार विज्ञान-कथा उपन्यास प्रकाशित हैं। एक हास्यकविता संकलन अयन प्रकाशन द्वारा प्रकाशनाधीन है। कई बार देश के सर्वोच्च हास्य कवियों के साथ मंच पर काव्यपाठ करने का मौक़ा मिला है। विश्व प्रसिद्ध कॉमिक टिनटिन सीरीज का हिंदी अनुवाद करने का गौरव भी प्राप्त है।

2 thoughts on “करारी हास्य कुण्डलियाँ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार कुण्डलियाँ ! पढ़कर मजा आ गया !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी .

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