लघुकथा

वाह रे मेरे हरिश्चंद्र

लाइब्रेरी के सामने से मैं अपने कुछ मित्रों के साथ कुलपति महोदय से कुछ काम के सिलसिले से मिलने जा रहा था, तभी पीछे से किसी ने आवाज लगायी- ‘रुकिये महोदय !’ हम लोग रुके, मुड़कर देखा तो पुलिस की वर्दी सा कपड़ा पहने प्यून खड़ा था। उसी ने हमें आवाज लगायी थी। प्यून पास आकर बड़ी विनम्रता से बोला – ‘लीजिए, आपका पर्स अभी गिर गया था।’

मैंने अचम्भित होकर कहा – ‘मेरा तो कोई पर्स नहीं गिरा, मेरा पर्स मेरे पास ही है। ये किसी दूसरे का होगा।’

प्यून भी अचम्भित होकर बोला – ‘आपका नहीं है।’

मैनें कहा – ‘हाँ ! मेरा नहीं है।’

इतना कहते ही हम लोग फिर से मुड़कर लम्बे-लम्बे कदमों से अपनी मंजिल की ओर चल पड़े।

एक मित्र ने कहा – ‘यार तूने पर्स क्यों नहीं लिया। उसमें चार लाल-लाल हजारे की, कुछ पीली-पीली इसके अतिरिक्त भी कई नोटें दिखाई दे रही थी। पूरा कम से कम सात हजार तो था ही।’

मेरा उत्तर था – ‘वह ईमानदारी के साथ पर्स मुझे दे रहा था। उसके हिसाब से वो पर्स मेरा था। अगर चाहता तो पर्स अपने पास भी रख सकता था। उसे हल्ला मचाने कि क्या जरूरत थी कि मैंने पर्स पाया है। मगर उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह ईमानदार था, फिर मैं उस पर्स को लेकर बेइमान क्यों बनूँ।

सभी मित्र मेरा उत्तर सुनकर खिल खिलाकर हँस पड़े। और एक मित्र ने मजाक पूर्ण भाव से कहा – ‘वाह रे मेरे हरिश्चन्द्र !’

अमन चाँदपुरी

अमन चांदपुरी

परिचय – मूल नाम- अमन सिंह जन्मतिथि- 25 नवम्बर 1997 पिता – श्री सुनील कुमार सिंह माता - श्रीमती चंद्रकला सिंह शिक्षा – स्नातक लेखन विधाएँ– दोहा, ग़ज़ल, हाइकु, क्षणिका, मुक्तक, कुंडलिया, समीक्षा, लघुकथा एवं मुक्त छंद कविताएँ आदि प्रकाशित पुस्तकें – ‘कारवान-ए-ग़ज़ल ‘ 'दोहा कलश' एवं ‘स्वर धारा‘ (सभी साझा संकलन) सम्पादन – ‘ दोहा दर्पण ‘ प्रकाशन – विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा वेब पर सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित सम्मान – प्रतिभा मंच फाउंडेशन द्वारा ‘काव्य रत्न सम्मान‘, समय साहित्य सम्मेलन, पुनसिया (बांका, बिहार) द्वारा 'कबीर कुल कलाधर' सम्मान, साहित्य शारदा मंच (उत्तराखंड) द्वारा ‘दोहा शिरोमणि' की उपाधि, कामायनी संस्था (भागलपुर, बिहार) द्वारा 'कुंडलिया शिरोमणि' की मानद उपाधि, उन्मुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा 'ओमका देवी सम्मान' एवं तुलसी शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा 'संत तुलसी सम्मान' से सम्मानित विशेष - फोटोग्राफी में रुचि। विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं तथा वेब पर फोटोग्राफस प्रकाशित पता – ग्राम व पोस्ट- चाँदपुर तहसील- टांडा, जिला- अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)- 224230 संपर्क – 09721869421 ई-मेल – [email protected]

2 thoughts on “वाह रे मेरे हरिश्चंद्र

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा !

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा !

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