यादों के मुसाफ़िर- ‘अंसू’
हम यादों के मुसाफ़िर है,
यादों के सहारे जीते हैं…!
कुछ लफ्ज़ शिकायत करते है,
कुछ ग़म के प्याले पीते हैं…!!
तू मुझसे दूर सही लेकिन,
दिल में तेरी ही यादें है,
हमें लोग समझ ना पाते हो,
पर तेरे लिए हम सादे हैं,
इस सादे पर बेबाकीपन में,
खुशियों के कनस्तर रीते हैं…!
हम यादों के मुसाफ़िर है,
यादों के सहारे जीते हैं…!!
मैं पंछी बन कर उड़ जाऊं,
ख्वाहिश मेरी कुछ ऐसी है,
जो रोज़ ख्वाब में आती है,
वो बिलकुल तेरे जैसी है,
तेरी याद में डूबे रहने को,
हम उधड़ी सीवन सीते हैं..!
हम यादों के मुसाफ़िर है,
यादों के सहारे जीते है..!!
ये कैसा रिश्ता यादों का,
हम दोनों के हिस्से बिखरा,
सब किस्से बन कर रह गए,
हर एक किस्सा बिसरा-बिसरा,
इन भूली-बिसरी यादों में,
इतिहासी किस्से बीते है..!
हम यादों के मुसाफ़िर है,
यादों के सहारे जीते हैं…!!
सपनों की अर्थी निकल गई,
कुछ ठण्डी आहें उगल गई,
हम बर्फ के नीचे दबे हुए,
वो ना जाने कब पिघल गई,
हम गर्म हवा की यादों के,
प्याले भर-भर के पीते हैं…!
हम यादों के मुसाफ़िर है,
यादों के सहारे जीते हैं…!!
ये ‘अंसू’ नाम हमारा है,
कुछ मेरा कुछ तुम्हारा है,
याद-समंदर की स्याही में,
खोया इश्क-किनारा है,
घोर अमावस रजनी में,
हम आंसू केवल पीते हैं…!
हम यादों के मुसाफ़िर है,
यादों के सहारे जीते हैं…!!
Good morning…