लघुकथा

तरक्की

साहब ने स्कूल के मैदान में लगे पौधो की हालत देख कर पूछा ,” मंत्रीजी ! यहाँ पौधे चल जाएँगे. न चारदीवारी है ना कोई और इंतजाम . और आप ने वृक्षारोपण पर २ लाख रुपए लगा दिए .”

“जी सर ! इन की सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है . इस के चारो और ४ बाय ४ की खाई खोदा दी है ताकि इन पौधो को जानवर न खाने पाए.”

” अच्छा ,” साहब गुस्से में बोले ,” यह खाई भी JCB से खुदवाई है जब कि मनरेगा के अनुसार यह कार्य आदमियों से करवाया जाना था ?”

” जी साहब !” कहते हुए सचिव ने एक गड्डी साहब के जेब में रख दी और साहब यह कहते हुए चुपचाप चलते बने, ” काम बहुत अच्छा हो रहा है मंत्री जी .शाबाश ! ऐसे ही काम करते रहो जल्दी तरक़्क़ी करोगे।

— ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]

One thought on “तरक्की

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा।

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