कविता

तमन्ना

इस जग में हमारी भी हो एक अलग पहचान,
सूरज सा चमकूं जाकर मैं भी आसमान,
आनेवाली पीढ़ी के लिए बन जाऊँ सोपान,
स्वर्ग से भी सुंदर हो हमारा हिन्दुस्तान,
कुछ ऐसे ही तमन्ना दिल में जगा रहे हैं।
हम हिंद के जवाँ हिंद का ताज सजा रहे हैं।।

मेहनत ईमानदारी से करेंगे अपनी हर करम,
हमारी लगन देखकर नाज करेंगे धरती – गगन,
देश के लिए हम मिटायेंगे अपनी हर जनम,
दीप बनकर उज्जवल करेंगे हम अपना वतन,
उड़ने के लिए अभी तो पंख लगा रहे हैं।
हम हिंद के जवाँ हिंद का ताज सजा रहे हैं।।

लक्ष्मीबाई भगत सिंह के हम हर वादा निभायेंगे,
रामकृष्ण विवेकानंद के कदमों पे चल दिखायेंगे,
सबको अपना दोस्त बनाकर अजातशत्रू बन जायेंगे,
अपनी संस्कृति का हम हर फर्ज निभायेंगे,
सच्चाई की राहों में अपना दिल बिछा रहे हैं।
हम हिंद के जवाँ हिंद का ताज सजा रहे हैं।।

ऐसा दिलचस्प इतिहास और संस्कार वाला देश कहाँ,
भगवान भी जन्म लेने को करते हैं मिन्नत यहाँ,
इसी देश के ही कदमों पर चलता है सारा जहाँ,
इस देश का धड़कन है यहाँ का हर एक जवाँ,
तूफान रुककर खूद हमें साहिल दिखा रहे हैं।
हम हिंद के जवां हिंद का ताज सजा रहे हैं।।

-दीपिका कुमारी दीप्ति

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।

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