कविता

मातृत्व सुख

मातृत्व सुख वरदान कुदरत का
आलौकिक चमक चेहरे पर आलोक
अंतर्मन ख़ुशी से मीठे पानी के झरने सा झंकृत
एक अद्म्भ्य आभा कपोल पर नाचने लगी
उन्नत ललाट पर दबी सौभाग्य की रेखा
सितारों सी जगमग हुई
मातृत्व सुख वरदान कुदरत का

— शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ