मेरा सुहाग
मेरे सुहाग की लाली
समर्पित है
उन नौजवानों को
जिनकी हर सुबह
अपने सीने पर
गोली खाने की
कवायद के साथ
शुरू होती है—
मेरी सतरंगी चूड़ीयाँ
लहराना चाहती है
उन वीर नौजवानों के लिए
संगीत बनकर
जिनके कान
बंदूक की खट-खट
सुनने की आदी हो चुकी है—
मैं अपनी यह चुनरिया
बिछा देना चाहती हूँ
उनके बिस्तर पर
जो हमारे देश की खातिर
हर रोज
रतजगा करते हैं
और हम
चैन की नींद सोते हैं —
—-सीमा सहरा—-
बहुत खूब .