मुक्तक/दोहा मुक्तक डॉ. अरुण कुमार निषाद 04/07/201527/07/2015 जब भी मिली तन्हाई मिली मुझको हर तरफ रुसवाई मिली मुझको चाहत थी उनसे इक मुहब्बत की जब भी मिली बेवफाई मिली मुझको