कविता

मेरे सपने …

काँटों भरी राहों पर फूल बिछाते चलूँ |

अपने दुर्गम मार्ग को सुलभ बनाते चलूँ |

अपने वाणी में मधुरस घोलते चलूँ |

ये हैं मेरे सपने |

अपने कर्तव्य से कभी विमुख न रहूँ |

सदा कर्तव्यनिष्ठ मैं बनी रहूँ |

कभी किसी का दिल ना दुखाऊँ |

ये हैं मेरे सपने |

सुख -दुःख में सबका साथ दूँ |

पराये को भी अपना बना लूँ |

दूसरे के दुःख को दूर करते चलूँ |

ये हैं मेरे सपने |

फूलों की भाँति बगिया सजाते चलूँ |

कोयल जैसी डालों पर गाते चलूँ |

पेड़ की डालियाँ जैसे सबको गले लगते चलूँ |

ये हैं मेरे सपने |

कभी भूल कर भी मेरे से भूल न हो |

सदा इंसानियत की राह पर चलते रहूँ |

सबको इसी राह पर चलने को बताते रहूँ |

ये हैं मेरे सपने |

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

4 thoughts on “मेरे सपने …

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      धन्यवाद सर

  • अरुण निषाद

    sundar

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      शुक्रिया अरुण जी।

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