कविता

कविता

शहर के उपर नीले साफ़
आकाश का शामियाना
मन में बिना पंख
उड़ने की चाह
हवा में उड़ती सौधी गंध
खिड़की से देखती
सडक पर बच्चो का दल
आँखे जुगनुओं सी
झिलमिलाती
माथे पर हल्दी का
तिलक
लगा वसंत बैठा
उनीदी आँखे लिए
दूर कन्दराओं में …..!!!

रितु शर्मा

रितु शर्मा

नाम _रितु शर्मा सम्प्रति _शिक्षिका पता _हरिद्वार मन के भावो को उकेरना अच्छा लगता हैं

4 thoughts on “कविता

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अछे विचार .

  • महातम मिश्र

    वाह महोदया ऋतु शर्मा जी, बहुत खूब बहुत खूब, आभार

  • गुंजन अग्रवाल

    shandar

Comments are closed.