माँ मुझे जीना है…
माँ क्यों कहती थी तुम?
बाहर जाओ तो
एक पुरुष के साथ जाओ
पिता , पति, पुत्र या भाई
मैं एक पुरुष के साथ ही तो बाहर थी
जो न पिता था
ना ही भाई
पर उसने साथ निभाने की
कसम थी खाई
लड़ गया न वोह
उन दरिंदो से
जो पुरुष ही थे
काश तुम मुझे बता पाती
कि उन पुरुषो की पहचान
जो किसी माँ केसच्चे बेटे न थे
जिनकी कोई बहन न थी
जिनकी कभी बीबी न होगी
जो कभी कन्या संतान नही जनेगे
माँ क्यों बैठती मैं
फिर उस
पीले पर्दों वाली
सफ़ेद बस में ……….
माँ मुझे जीना है….
— नीलिमा शर्मा (निविया)
बहुत खूब, निविया जी !
एक लड़की के मनोभाव को बखूबी बिआं कर दिया .
बहुत खूब महोदया