ग़ज़ल
विश्व बाजार परम्पराएं पुरानी ले गया
जीने का ढ्ब खानदानी ले गया
बनके रह्नुमा एक गरीब का कोई
झूठे वादों के बदले दुआएं रूहानी ले गया
चांद मंगल का हमें दिखाकर ख्वाब
वो हमारी आंखों का पानी ले गया
यादों का कफस देके एक लुटेरा
मेरे चेहरे की शादमानी ले गया
शोख मौसम के दिखा सपने कई
जिन्दगी की रवानी ले गया !!
वाह वाह !
बनके रह्नुमा एक गरीब का कोई
झूठे वादों के बदले दुआएं रूहानी ले गया, वाह किया खूब बिआं किया .
वाह वाह क्या खूब रचना है महोदया,शौख मौसम के दिखा के सपने कई जिंदगी की रवानी ले गया……..