जैसे को तैसा
दूजे की बहन-बेटी के साथ
करें हंसी-ठिठोली
अपनी रखे छुपाय|
हद तब होई जाय
जब कोई फूहड़ता-पन
पर उतर आय |
अपनी बहन बेटी को
कोई भी बोले
अतिशीघ्र खून खौली जाय |
दूजे की बहन लगे देखने
आँख टिकाय
अपनी को रखे
दूजो से बचाय|
कब तक ऐसा होए
कभी तो सेर-पर सवा-सेर
मिली ही जाये|
तब मुहं ताकत बैठे रहे
अपनी गलती पर खूब
पछताय |
हाथ तब सर पर दे मारे
जब जैसे को तैसा
कहीं मिली जाय |
||सविता मिश्रा||
बहुत खूब !