रोजा इफ्तार के बहाने सियायत चमकाने का नया दौर
जब-जब रमजान का माह प्रारम्भ होता है और ईद का पर्व नजदीक आता जाता है वैसे-वैसे देश के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल अपनी राजनीति को नये सिरे से चमकाने के लिये रोजा इफ्तार का सहारा लेकर मुसलमानों को बेवकूफ बनाने में जुट जाते हैं। विगत 65 वर्षों से कांग्रेस व अन्य तथाकथित समाजवादी व वामदल जिनका भरण पोषण केवल और केवल मुस्लिम वोटबैंक से होता है अपने आप को महान सेकुलर सिद्ध करने का प्रयास करने में लग जाते हैं। विगत लोकसभा चुनाव इन दलों के लिए गहरा आघात देने वाले सिद्ध हुए हैं। इन सभी सेकुलर दलों को अभी भी अपनी पराजय स्वीकार नहीं हो रही है। ये सभी दल एक बार फिर जनमानस विशेषकर मुस्लिम समाज के बड़े रहनुमा बनने के लिए बेताब हो रहे हैं।
यही कारण है कि इस बार केंद्र में मोदी सरकार है और ये सभी दल बेरोजगार और विपक्ष में, इसलिए ये सभी दल रोजा इफ्तार बड़े ही आक्रामक अंदाज में आयोजित कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जिसमें उपराज्यपाल नजीब जंग और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शामिल होकर मीडिया को एक बड़ी खबर दे दी। इस मुलाकात का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल का उपराज्यपाल नजीब जंग के साथ टकराव चल रहा है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले लम्बित हैं। सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपने खिलाफ मामलों को रूकवाने के लिए इस दावत में शामिल हुईं।
वहीं दूसरी ओर संसद में सरकार को घेरने के लिए व विपक्ष की एकता को मजबूत करने के प्रयास के कांग्रेसाध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने भी दावत का आयोजन किया जिसमें लालू, मुलायम सहित वामदल व कई क्षेत्रीय दलों के बड़े चेहरे शामिल नहीं हुए। जिससे संकेत जा रहा है कि संसद में कांग्रेस सरकार के खिलाफ रणनीति बनाने मे विफल हो सकती है। टीवी चैनलों पर इन इफ्तार आयोजनों को लेकर बड़ी बहसें हो रही हैं। हैदराबाद के आवैसी व कुछ मुस्लिम धर्मगुरूओं ने इन इफ्तार दावतों के औचित्य को सिरे से नकार दिया है। एक मुस्लिम धर्मगुरू मौलाना अंसार रजा का कहना था कि इन दावतों से मुस्लिम समाज का कोई भला नहीं होने वाला है। मुसलमानों को सबसे अधिक बेवकूफ बनाने वाली और ठगने वाली कांग्रेस पार्टी ही है क्योंकि आजादी के बाद देश पर सबसे अधिक 65 वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ही है यह कांग्रेस की ही नीतियों का ही परिणाम है कि आज मुसलमानों के लिए रंगनाथ मिश्रा आयोग और सच्चर आयोग की रिपोर्ट देश के सामने है। मुसलमानों को कांग्रेस ने ठगा है। अपना गुलाम बनाकर रखा है। अब देश का मुसलमान कांग्रेस के बहकावे में नही ंआने वाला है। टीवी बहसों का निचोड़ यह भी था कि इन दावतों के बहाने केवल एक दूसरे को मुस्लिम टोपी पहनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर भी मुस्लिम समाज की ओर से बहस करने वालों का कहना था कि मुस्लिम टोपी मुस्लिम समाज के लिए बहुत पवित्र होती है। मुस्लिम समाज में टोपी का बहुत महत्व और सम्मान है। हर कोई मुस्लिम टोपी पहनकर मुसलमानों का भला नहीं कर सकता।
वैसे भी इस प्रकार की इफ्तार पार्टियां हराम की होती हैं क्योंकि पता नहीं इन पार्टियों में किस प्रकार का पैसा लगा हो। इन लोगों का कहना है कि मुस्लिम टोपी पहनकर ये सभी दल एक बार फिर हमें बरगलाने के लिए निकल पड़े हैं। लेकिन अब मुस्लिम समाज भी समझदार हो रहा है। वह किसी के लिए बिकाऊ नहीं है और नहीें किसी दल विशेष का गुलाम। अब मुसलमान अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है। आज देश के मुसलमान समाज के पिछड़ेपन और गरीबी के लिए केवल और केवल कांग्रेस पार्टी और तथाकथित सेकुलर दल ही जिम्मेदार है। अब देश के मुसलमान को विकास चाहिए, शिक्षा चाहिए और मुसलमान युवकों को वास्तव में रोजगार चाहिए। ये सब दावतें केवल राजनीति चमकाने का नजरिया बन चुकी हैं। मुस्लिम टोपी पहनकर भी ये दल इसे अपवित्र कर रहे हैं और उसे अपमानित भी कर रहे हैं। ये सभी दल केवल बिहार विधानसभा का चुनाव जीतना चाहते हैं। बिहार में मुस्लिम वोटबैंक की बड़ी तादाद है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री नीतिश कुमार अब अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े दिखलाई पड़ रहे हैं। नीतिश कुमार केजरीवाल के लिए केंद्र को कोस रहे हैं। वहीं कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी तो पूरी राजनैतिक मूर्खता पर ही उतारू हो गये है। वे अपने आप को बड़ा भोला बनकर जनता के सामने पेश कर रहे है। सुबह मंदिर जाते हैं और शाम को रेाजा इफ्तार की दावत करते हैं। जिसमें बहुसंख्यक हिंदू समाज को अपमानित करने वाले बयान भी देते हैं व अपने आप को सबसे बड़ मुस्लिमांें का रहनुमा बताते हैं।
राहुल गांधी पूरी तरह से राजनैतिक ढंोंगी हैं व कुुंठाग्रस्त हैं। उनको अपनी एक राजनैतिक राह पकड़नी होगी या तो उदार हिंदूवादी बनें या फिर पूरी तरह से मुस्लिम टोपी पहन लें। राहुल गांधी के सलाहकार ही उनकी राजनीति को डुबोकर रख देंगे। राहुल गांधी का कहना है कि मैं तो रोज बोलूंगा, लेकिन रोज बोलने से उनकी सारी ताकत तो अभी ही समाप्त हो जायेगी। राहुल गांधी को पहले अपने 65 वर्षों के इतिहास को अच्छी तरह से एक बार फिर पढ़ना चाहिए। केवल किसी को गरियाने से कोई लाभ नहीं होने वाला। वैसे भी अगर कांग्रेस पार्टी का यही नकारात्मक रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस की हालत पूरे भारत में दिल्ली जैसी हो जायेगी।
— मृत्युंजय दीक्षित
विपक्षी दल मुसलमानों के वोट बैंक के लिए ऐसे पाखंड बहुत पहले से करते रहे हैं. बहु से मुसलमान इनके जाल में फंस भी जाते हैं. मुफ्त का खाना किसे बुरा लगेगा?